राहों का राही

---- मंगल सिंहनन्हे-नन्हे *पग* है मेरे,मधुर मीठी मुस्कान,!! मैं भी हूँ राहों का राही,अलग मेरी पहचान,!! देश का *गौरव* हैं हम बच्चे,माता-पिता के हम अभिमान,!!*एकता-अखंडता* को मानने वाला,मेरा *भारत* देश महान,!! दादा-दादी और नाना-नानी, *गीता-रामायण* का पाठ पढाते,सदबुध्दि* और ग्यान बढाते,!! इन बातों से बढती है,हमारे *संस्कार* की पहचान,!!नन्हे-नन्हे *पग* है मेरे,मधुर मीठी मुस्कान,!! मैं … Continue reading राहों का राही

एक शराबी की कहानी

----मंगल सिंहपरख लिया है जग को हमने!कोई नहीं है हमरा!!जो तनाव को दूर भगाये!एकमात्र है मदिरा!! घर में जब तक हम अड़े थे!मदिरालय सब सून पड़े थे!! अर्थव्यवस्था ढह रही थी,!कब से हमसे कह रही थी!! उठो चलो घर से निकलो तुमऔर सेवन करॊ हमरा!परख लिया है......मदिरा!! कतार में खड़े होकर केमदिरा हमने खरीदी है!इस … Continue reading एक शराबी की कहानी

मेरा बचपन

--- मंगल सिंह वाह! वह भी मेरा क्या बचपन था,न उम्र की परवाह थी,न कोई गम था। सारी ख्वाहिशे पूरी होती थी,केवल एक बार बोले जाने से,मेरे सारे अपने खूब मनाते थे,थोड़ा सा रूठ जाने से। वाह! वह भी क्या मेरा बचपन था,न उम्र की परवाह थी,न कोई गम था। सारा दिन मिट्टी में खेलकर,जब … Continue reading मेरा बचपन

अपनों में सबसे बड़ा

----मंगल सिंह वह मेरे सभी अपनो में,सबसे बड़ा होता है।जो मेरी कठिन परिस्थिति में भी,मेरे साथ खड़ा होता है। सहयोग केवल धन देने से नहीं होता है,कोई शब्दो से,तो कोई विश्वास से ताजगी देता है। साहस से बढता है,फ़िर मंगल उसका हर एक कदम,जब कोई अपना हितैषी,हमारा साथ देता है हरदम। वह व्यक्ति बड़ी मुश्किलों … Continue reading अपनों में सबसे बड़ा