हलचल हरियाणवी(परिचय)

परिचय
हलचल हरियाणवी का जन्म गांव बीकानेर जिला रेवाड़ी में श्री मनोहर लाल पिता व माता चंद्रों देवी के घर में १५ नवम्बर १९४९ को हुआ ! इनका बचपन का मूल नाम तो पं० द्वारा विष्णु दत्त रखा गया था किन्तु साहित्य जगत में इनके गुरु अल्हड़ बीकानेरी द्वारा इनको हलचल नाम दिया गया, गुरु जी की तर्ज पर विष्णु दत्त अपने को हलचल बीकानेरी लिखने लगे, काफी जगहं छपे भी, किन्तु अल्हड़ बीकानेरी जी ने इनको सलाह दी कि बीकानेरी मत लिखो? क्योंकि मैंने महसूस किया कि लोग बीकानेर राजस्थान वाले को ही समझते हैं। हरियाणा में बीकानेर कोई गांव है कोई नहीं जानता इसलिए तुम हलचल हरियाणवी रखो तो अच्छा रहेगा। बस तब से ये इसी नाम से हास्य व्यंग्य-कवि के रुप में स्थापित हो गए। ये घटनाक्रम १९७१ के लगभग का है।
इनकी पहली हास्य व्यंग्यं कविता संग्रह २००६ में हरियाणा साहित्य अकादमी के अनुदान से प्रकाशित हुआ।  मंचों से ही काव्य-पाठ करने के चलते पुस्तक छपवाने का प्रयास ही नहीं किया। एक कविमित्र की सलाह से यह पुस्तक हरियाणा साहित्य अकादमी को अनुदान सहायता के लिए प्रेषित कर दी थी । जिसका नाम मौज हो रही सै बहुत ही चर्चित हुई, जिसकी भूमिका आदरणीय ओम प्रकाश ‘आदित्य जी ने लिखी थी! तत्पश्चात २००८ में इनका दूसरा हिन्दी हास्य व्यंग्यं कविता संग्रह झूम उठे हम फिर हलचल के चौंके-छक्के,
बुढापा बैरी घणा , जय भ्रष्टाचार हरे
इसके बाद आदमी दोगले हो गये,लोग इतने बड़े हो गए ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हुआ। इनकी दो पुस्तकें शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहीं हैं।

🎁 कवि परिचय 🎁
इनको देश की अनेकों मान्यता प्राप्त संस्थाओं द्वारा महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’  रायबरेली (यू०पी०), बाबू बाल मुकुंद गुप्त पुरस्कार रेवाड़ी तथा  अनुराग  जिला दोसा राजस्थान व  दर्जनों संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत किया गया है, विशेष रुप से हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा विशेष साहित्य सेवी पुरस्कार और राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार  आदित्य अल्हड़ पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। इनकी मौज हो रही सै हास्य व्यंग्यं कविता संग्रह पर एम०फिल० हो चुकी है। इनकी छ पुस्तकों पर और इनके व्यक्तित्व  व कृतित्व पर रोहतक युनिवर्सिटी मे  प्रो० बाबू राम जी के सानिध्य में — ‌पी०एच०डी० चल रही है।

प्रस्तुति;- शैलेन्द्र सिंह शैली

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