सुरेश पंचोली पत्रकार

चलें गावं की ओर----------------*तेरी बुराइयों* को हर *अख़बार* कहता है, और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है // *ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है // तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है // *थक* गया है हर *शख़्स* काम करते करते // तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है। *गांव* … Continue reading सुरेश पंचोली पत्रकार

प्रस्तुति:- आशीष कौशिक

किसी शायर ने अंतिम यात्राका क्या खूब वर्णन किया है.....   था मैं नींद में और. मुझे इतनासजाया जा रहा था.... बड़े प्यार सेमुझे नहलाया जा रहाथा.... ना जानेथा वो कौन सा अजब खेलमेरे घरमें.... बच्चो की तरह मुझेकंधे पर उठाया जा रहाथा.... था पास मेरा हर अपनाउसवक़्त.... फिर भी मैं हर किसी केमनसेभुलाया जा रहा था... जो … Continue reading प्रस्तुति:- आशीष कौशिक

सुरेश पंचोली

(35 + उम्र के मित्रो के लिए एक कविता)""मैं और मेरे एहसास""(सुरेश पंचोली)====!!!===!!!====जीवन में पैतीस पार का मर्द…….. कैसा होता है ? थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पास, खुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बाद, जिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे, जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआ, अनुभव की पूंजी हाथ … Continue reading सुरेश पंचोली