वफ़ादार बेवफ़ा

वह बेवफा नहीं थी दोस्तों वफादार बेवफा थी जब दूसरों की बाहों में होती तो मैं पूछता तू कहां थी मेरे दिल की तरफ इशारा करके कहती मैं तो यहां थी मेरी वफा पर शक है तुझे ,तुझे कसम है सारे जहां की मैं दिल ही दिल में रो लेता था कभी आंखें भी भिगो … Continue reading वफ़ादार बेवफ़ा

फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है

फर्क सिर्फ इतना है पागल तो हम दोनो हैं,फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है । तू उस पर पागल है ,मैं तुझ पर पागल हूँ।। दोनों ही हम बहते हैं ,फर्क सिर्फ इतना है । मैं एक गंदा नाला हूं , तू बहता गंगाजल है । दोनों ही रहते हैं पैरों में ,फर्क सिर्फ इतना है । … Continue reading फ़र्क़ सिर्फ़ इतना है

याद

क्यों मेरा दामन थामे बैठी हो आज भी तुम क्यों उजाड़ देना चाहती हो चंद तस्वीरों के पीछे मेरी जिंदगी तुम ना कहने पर भी क्यों आती हो बार-बार मेरे घर तुम भ्रमित सा मैं भ्रमित सी तुम कब तक परिचय देते रहेंगे इतिहास का इस समाज को जा जा कर बार-बार तुम्हारा इस कदर … Continue reading याद

मुझसे ज़िरह ना हो सकी

मुझसे जिरह ना हो सकी कि मैं बोल ना सका उन आंसुओं में दम है कितना मैं तोल ना सका वह आए भी थे घर मेरे फैसले से रूबरू होने होंठ जो खुले पर खुले रहे कि मैं बोल ना सका कल भी आई थी बंद दरवाजे पर उनकी याद मैं उठा भी डगमगाया कि … Continue reading मुझसे ज़िरह ना हो सकी

तू ही है गीत मेरा

तू मेरा अपना तू मेरा सपना तू ही है गीत मेरा तुझे पूजूँ, तुझे चाहूं तेरी यादों से होता है सवेरा तुझे क्या मैं कहूं ,तुझे क्या नाम दूं जो पी सके ना तू ,मैं वो जाम हूं तू मेरी मंजिल, तू मेरा साहिल तू ही है प्रीत मेरा तुझे पूजूँ, तुझे चाहूं तेरी यादों … Continue reading तू ही है गीत मेरा

बजट बनाम मुद्रास्फीति

बजट बनाम मुद्रास्फीति काश मुझे भी कोई मध्यस्थ मिल गया होता तो मुझे उनका हस्त मिल गया होता नए बजट की आयकर सीमा सा उन्नत मेरा यह मन डीडीए पार्क की तरह खिल गया होता काश मुझे भी कोई मध्यस्थ मिल गया होता काश बजट की तरह हमने भी अपनी बात मानव कोष को बताई … Continue reading बजट बनाम मुद्रास्फीति

ना बाजा बजेगा ना बारात आएगी

ना बाजा बजेगा ना बारात आएगी बिना दुल्हन बने वह रात आएगी कल फिर जनाजा निकलेगा तेरी गैरत का बिन पानी लिए वह बरसात आएगी कोई रोने वाला ना होगा कि तू रोएगी तू क्या जाने तू आज क्या खाएगी खुद अपनी नजरों में गिर जाएगी एक दिन कौन सी आंखों से फिर साजन के … Continue reading ना बाजा बजेगा ना बारात आएगी

आज फिर बरसात होगी

आज फिर बरसात होगी किसी ने अपने अरमानों का चिता जलाई है अपनी सांसो को अपने ही हाथों से अंदर धकेल कर सो गया है कोई नींद उसकी भूख मिटती है कटु सच्चाई को कुछ देर दबा कर उसे झूठे सपने दिखाती है आज फिर बरसात होगी कोई टूट गया है आज लेकिन हारा नहीं … Continue reading आज फिर बरसात होगी

शायरी भाग II

नाजनीनों के नाज का यूँ तय होता सफर। नज़्म उनकी नजर पर राव लिख देता अगर।। हमसफर तेरे सफर के हमसफर को ना मिले कोई गम। हमसफर तेरे सफर के हमसफ़र तो ना बन सके हम।। सीमा की सीमा सीमा में रहे सीमा की सीमा खो जाएगी। सीमा सीमा में रहा करो वरना सीमा बदनाम … Continue reading शायरी भाग II

शायरी भाग I

हम मोहब्बत की चिता को देखकर आंसू बहा रहे थे वह बे फिक्र से हमारी हालत पर मुस्कुरा रहे थे तुम तो हमारी मौत पर खुशी का जश्न मनाओगे। जाकर देखना चिता पर हमारी राख को तड़पता पाओगे जो दिल में मोहब्बत के अरमान लिए मर जाते हैं । कब्र खोद कर देखो उनकी तड़पते … Continue reading शायरी भाग I